Monday, December 30, 2019

अनुराग ने क्यों दिलाई अमिताभ को गब्बर की याद? #SOCIAL

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब इन चार दोषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चार दोषियों के अलावा एक प्रमुख आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.

एक अन्य अपराधी जो घटना के वक़्त नाबालिग़ साबित हुआ था, उसे सुधारगृह भेजा गया था. साल 2015 में उसे सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था. इस अपराधी का नाम ज़ाहिर नहीं किया जा सकता. इसे अगस्त 2013 में तीन साल सुधारगृह में बिताने की सज़ा सुनाई गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब यह अपराधी व्यस्क हो चुका है, लेकिन तय नियमों के अनुसार उन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है. अब वो एक चैरिटी संस्था के साथ है क्योंकि बाहर उन्हें सुरक्षा का ख़तरा बना हुआ है.

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.

अब इन चार दो अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक मषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चार दोषियों के अलावा एक प्रमुख आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.

एक अन्य अपराधी जो घटना के वक़्त नाबालिग़ साबित हुआ था, उसे सुधारगृह भेजा गया था. साल 2015 में उसे सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था. इस अपराधी का नाम ज़ाहिर नहीं किया जा सकता. इसे अगस्त 2013 में तीन साल सुधारगृह में बिताने की सज़ा सुनाई गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब यह अपराधी व्यस्क हो चुका है, लेकिन तय नियमों के अनुसार उन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है. अब वो एक चैरिटी संस्था के साथ है क्योंकि बाहर उन्हें सुरक्षा का ख़तरा बना हुआ है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया मामले के चारों दोषियों का केस अब लगभग पूरा होने वाला है. इन चारों पर गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अंतिम पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज किया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, ''हम दोषी साबित हो चुके अक्षय कुमार की याचिका ख़ारिज करते हैं. उनकी याचिका पर दोबारा विचार करने जैसा कुछ नहीं है.'' इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और ए.एस. बोपन्ना भी थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब इन चार दोषियों अक्षय, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और मुकेश सिंह को एक महीने के भीतर अपनी-अपनी क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी. चारों दोषियों के पास यह अंतिम क़ानूनी सहारा बचा है. इसके बाद उनके पास एक संवैधानिक सहारा बचेगा और वह है राष्ट्रपति के पास दया याचिका का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत में क़ानून के बड़े जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं कि इस मामले के चारों दोषियों को जल्दी ही फांसी हो जाएगी. इन चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है और अब क्यूरेटिव और दया याचिका ही दो अंतिम विकल्प बाकी बचे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

माना जा रहा है कि इन दोनों रास्तों पर भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि इस घटना को बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है. निर्भया मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन कहते हैं, ''यह माना जा रहा है कि आने वाले तीन-चार महीनों में इन चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

परासरन ने बीबीसी से कहा, ''उन्हें जल्दी ही फांसी की सज़ा हो जाएगी. क्योंकि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है. मेरे ख़याल से इस पूरे मामले में हुई बर्बरता को देखते हुए उनकी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका पर भी ग़ौर नहीं किया जाएगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वरिष्ठ वकील और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.सी. कौशिक का भी मानना है कि आने वाले दो तीन महीनों में दोषियों को फांसी दे दी जाएगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''मेरे विचार से क्यूरेटिव और दया याचिका दोनों ही ख़ारिज हो जाएंगी. यह मामला बेहद जघन्य अपराध की श्रेणी में है. इस मामले के दोषियों के पास जो भी क़ानूनी और संवैधानिक विकल्प हैं वो दो-तीन महीनों में समाप्त हो जाएंगे.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कौशिक यह भी कहते हैं कि अब इस मामले में दो-तीन महीने से ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.

बीबीसी के साथ बातचीत में वो कहते हैं, ''जैसे कि उनकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज हो चुकी है इसके बाद उनकी क्यूरेटिव और दया याचिका भी ख़ारिज हो सकती है तो ऐसे में सभी दोषियों को फांसी मिलने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आपराधिक मामलों के वकील विकास पाहवा कहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द एक बेहतर और तर्कपूर्ण अंत होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं, ''एक तयशुदा वक़्त यानी दो-तीन महीने में सभी क़ानूनी विकल्प पूरे हो जाएंगे और इसके बाद दोषियों को फांसी निश्चित हो जाएगी.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तीन दोषी अक्षय, पवन और विनय के वकील ए.पी. सिंह का कहना है कि उनके तीनों मुवक्किल ग़रीब परिवारों से आते हैं इसलिए उन्हें कम सज़ा दी जानी चाहिए और उन्हें सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए.

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ''मेरे सभी मुवक्किलों को सुधरने का एक मौक़ा मिलना चाहिए. वो ग़रीब हैं और उन्हें एक मौक़ा मिलना चाहिए कि वो भी देश के अच्छे नागरिक के तौर पर ख़ुद को साबित कर सकें.''मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

चारों अपराधी, मुकेश, अक्षय, पवन और विनय ने मार्च 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में इन सभी को मौत की सज़ा देने पर मंज़ूरी दी गई थी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इससे पहले 13 सितंबर 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सभी दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद तीन दोषियों पवन, विनय और मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उस समय जिस बेंच ने वह पुनर्विचार याचिका ख़ारिज की थी उसके अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा थे. उन्होंने इस घटना को 'सदमे की सुनामी' बताया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने लंबे चौड़े फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपराधियों के बर्ताव को जानवरों जैसा बताया था और कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पूरा मामला ही किसी दूसरी दुनिया में घटित हुआ जहां मानवता के साथ बर्बरता की जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

16 दिसंबर 2012 की रात राजधानी दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह पुरुषों ने एक चलती बस में गैंगरेप किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Thursday, December 19, 2019

बीबीसी लेकर आ रहा है पहली बार Indian Sportswoman Of The Year Award

बीबीसी देश की महिला खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए पहली बार अवॉर्ड लेकर आ रहा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी की भारतीय भाषाओं की प्रधान संपादक रूपा झा और बीबीसी के एशिया-पैसिफिक के बिज़नेस डेवेलपमेंट हेड इंदु शेखर ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में इसकी घोषणा की.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी प्रेस कांफ्रेंस की मुख्य अतिथि रहीं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कर्णम मल्लेश्वरी ने इस मौके पर कहा, "हमारे समाज में महिलाओं को कमज़ोर समझा जाता है. लेकिन खेलों में सब बराबर हैं. जब हम खेलते हैं तो हमें सम्मान मिलता है. लगता है कि हमने भी देश के लिए कुछ किया. और #BBCISWOTY जैसे अवॉर्ड हमारा हौसला बढ़ाते हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवीमेन ऑफ द ईयर पुरस्कार का एलान अगले साल मार्च में किया जाएगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी की कोशिश ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं और युवा दर्शकों और पाठकों तक पहुंचने की रही है. ये पुरस्कार इसी मुहिम का हिस्सा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी की भारतीय सेवाओं की प्रधान संपादक रूपा झा मानती हैं कि देश की महिला खिलाड़ियों को खेल के मैदान में जीत से पहले कई चुनौतियों को हराना होता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

खेल प्रेमियों से अपनी पसंदीदा खिलाड़ी को वोट करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, "ये ज़रूरी है कि हम देश की महिला खेल हस्तियों ने जो हासिल किया है, उसे मान्यता दें. लेकिन साथ ही हम उन चुनौतियों को भी अपने पाठकों और दर्शकों तक ले जाना चाहते हैं जिनका सामना इन खिलाड़ियों को करना पड़ता है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा, "ये ज़रूरी है कि हम महिला खिलाड़ियों की बड़ी उपलब्धियों के बारे में चर्चा करें, लेकिन उनके सामने क्या चुनौतियाँ रहीं, ये भी दुनिया को बताना ज़रूरी है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

साल 2000 के बाद भारत को मिले कुल 13 ओलंपिक मेडल्स में से 5 महिलाओं ने अपने नाम किए हैं. 1999 तक मिले इतने ही ओलंपिक पदकों में से सब पुरुषों ने ही जीते थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस मौके पर बीबीसी के एशिया पैसेफ़िक - बिज़नेस डेवलपमेंट हेड इंदु शेखर ने कहा, "वैश्विक स्तर पर बात करें तो हर दस में से एक शख़्स जो बीबीसी को देखता-सुनता है, वो भारत में रहता है. ये इवेंट उन सभी दर्शकों और श्रोताओं के साथ अपना रिश्ता और मज़बूत करने का एक ज़रिया है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के डायरेक्टर जेमी एंगस के मुताबिक़, "बीबीसी ख़बरों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश करता रहा है. बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवीमेन ऑफ द ईयर अवॉर्ड इसी लक्ष्य की ओर एक कोशिश है. ये पुरस्कार भारतीय खेलों में महिलाओं की बढ़ती हुई उपलब्धियों को सम्मान देने का एक मौक़ा है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"भारत में हमेशा महिलाएं ही कमजोर मानी जाती है. इसे हमेशा एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में देखा जाता है या विक्टिम जैसे दिखाते हैं. स्पोर्ट्स महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाता है. ये एक पावर है महिला के लिए. ये अवॉर्ड आने वाले फ्यूचर प्लेयर्स को मोटिवेशन देगा. अगर हम खिलाड़ी को सम्मान देते हैं तो ये खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाएगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अभी मीडिया खिलाड़ियों को अच्छे से कवर करता है. 1994 में जब मैं वर्ल्ड चैंपियन बनी थी और ठीक उसी वक्त मिस वर्ल्ड भी बनीं. लेकिन जो सम्मान उन्हें मिला वो हमें नहीं बना. अभी वक़्त बदल रहा है. अब सिंधु वर्ल्ड चैंपियन बनी है उन्हें जैसा सम्मान मिला हमें वो नहीं मिलता था. मैं चाहती हूं कि स्पोर्ट्स कवरेज को तवज्जों दी जाए. इससे हमारी बेटियां आगे बढ़ेगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

क्रिकेट को लेकर लोगों का रवैया अलग है एक कारण ये भी है कि इसे आगे ले जाया गया. वेट लिफ्टिंग को लोकिन ज्यादा नहीं अपनाया गया है अब तक. वेट लिफ्टिंग करने वालों के माता-पिता भी इतने अमीर नहीं होते कि वे प्रमोट करें. लॉन टेनिस, बैटमिंटन और बॉक्सिंग में लोगों को इंटरेस्ट ज्यादा रहता है. वेटलिफ्टिंग आज भी मर्दों का खेल माना जाता है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी की चुनी हुई एक जूरी ने पुरस्कार के लिए पांच खिलाड़ियों के नाम तय किया है. जूरी में देश के कई आला खेल पत्रकार, जानकार और लेखक शामिल थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फरवरी महीने में इन पांच खिलाड़ियों के नामों का ऐलान होगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

आप बीबीसी की किसी भी वेबसाइट पर जाकर इन पांचों खिलाड़ियों में से अपनी पसंदीदा प्लेयर के लिए वोट कर सकते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सबसे ज़्यादा वोट पाने वाली खिलाड़ी को दिल्ली में होने वाले एक समारोह में बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवीमेन ऑफ द ईयर अवॉर्ड दिया जाएगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके अलावा भारतीय खेल में अहम योगदान के लिए बीबीसी एक महिला खिलाड़ी को 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' भी देने जा रहा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारतीय महिला खिलाड़ियों की बात करें तो पिछले एशियाई खेलों में भारत को मिले कुल 57 मेडल्स में से 28 यानी लगभग आधे महिलाओं ने जीते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस साल दोहा में हुई एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारत के हिस्से आए 17 में से 10 पदक महिलाओं ने ही बटोरे थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये आंकड़े बताते हैं कि बदलते भारत में देश की बेटियां मेडल की रेस का गेम भी बदल रही हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये अवॉर्ड आपके लिए मौक़ा है, इस बदलते गेम में अपनी भागीदारी तय करने का.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

तो फिर रहें ना पीछे और फरवरी महीने में बीबीसी की बेवसाइट पर जाकर तय करें कौन बनेगी इस साल की बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवीमेन ऑफ द ईयर. मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Friday, December 13, 2019

पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी बोले, 'होली-दिवाली से भी बड़ा दिन'

सात साल पहले पाकिस्तान से आकर भारत में बसीं हिंदू शरणार्थी मीरा ने अपनी नन्ही पोती की ओर देखकर यही कहा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

दरअसल उनकी पोती का जन्म उस दिन हुआ, जब लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पारित किया गया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उनके घर में एक दिन में ही दो ख़ुशखबरी आई. उन्हें सालों का अपना इंतज़ार ख़त्म होता दिख रहा था, और इसी ख़ुशी में उन्होंने अपनी नन्ही पोती का नाम 'नागरिकता' रख दिया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

मीरा कहती हैं, "पाकिस्तान में मैंने अपने बेटे का नाम भारत रखा था और बेटी का नाम भारती रखा था. फिर हम भारत आ गए. अब भारत में बात चल रही है कि हमें नागरिकता मिल सकती है, तो मैंने सोचा कि अपनी पोती का नाम 'नागरिकता' रखती हूं. ये बच्ची होते ही नागरिकता की बात शुरू हो गई. क्या पता, इसी के भाग्य से हमें नागरिकता मिलने जा रही है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बच्ची के दादा सुखनंद कहते हैं, "आज हमारे लिए होली-दिवाली से भी बड़ा त्योहार है, क्योंकि आज हमें अपनी नागरिकता मिलने जा रही है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस परिवार की तरह ही, दिल्ली में मजनू का टिला स्थित पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की इस बस्ती में हर चेहरे पर ख़ुशी है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस शरणार्थी बस्ती में 140 हिंदू परिवार रहते हैं, जिनमें क़रीब सात सौ लोग हैं. देश में अलग-अलग हिस्सों में पाकिस्तानी से आए हिंदुओं की ओर भी कई बस्तियां हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

'नागरिकता' के परिवार की ही तरह बस्ती का हर चेहरा खिला हुआ है, क्योंकि इन्हें अब भरोसा हो चला है कि नागरिकता संशोधन बिल के संसद से पास होने के बाद इनके 'अच्छे दिन' अब आने वाले हैं. इन्होंने तो मान लिया है कि बिल पास होते ही इन्हें नागरिकता मिल गई है, बस अब कागज़ी औपचारिकता ही पूरी करना बाक़ी है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जिस समय देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन विधेयक पर विवाद हो रहा है और लोग ग़ुस्से में हिंसा पर उतर आए हैं, उस वक़्त इन पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये लोग वर्षों से उस पल का इंतज़ार कर रहे हैं, जब इन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी और ये लोग 'हिंदुस्तानी' कहलाएंगे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सोना दास पाकिस्तान में सिंध प्रांत के हैदराबाद में रहते थे. जहां उनके पास ज़मीन जायदाद, खेत-खलिहान सब था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहते हैं कि हिंदू होने की वजह से उनके साथ भेदभाव किया गया, उन्हें परेशान किया गया, उनकी संपत्ति हड़प ली गई, जिसके चलते उन्होंने पाकिस्तान छोड़कर भारत आने का फ़ैसला किया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सोना दास कहते हैं, "हमारे धर्म पर आंच आ रही थी. मेरे लिए धर्म सबसे ज़रूरी थी. मुझे उसकी रक्षा करनी थी. इसलिए मैंने परिवार के साथ पाकिस्तान छोड़ने का फ़ैसला किया."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सोना दास की तरह बल देवी भी अपने ससुराल वालों के साथ भारत आ गई थीं. लेकिन उनके मायके वाले पीछे ही छूट गए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

भारत आने के बाद वो कभी वापस पाकिस्तान अपने मायके वालों से मिलने नहीं गईं. उन्हें डर था कि अगर वो फिर से पाकिस्तान गईं तो भारत में नागरिकता मिलने में दिक्कत आ सकती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अब उन्हें उम्मीद जगी है. वो कहती हैं कि भारतीय नागरिक बनने के बाद वो बेहिचक पाकिस्तान जा सकेंगे और उनके मायके वालों के लिए भी भारत आने के रास्ते खुल जाएंगे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

हिंदू शरणार्थी बस्ती के प्रधान सुखनंद बताते हैं कि कई औरतों को अपने बच्चे पाकिस्तान में छोड़कर आना पड़ा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो बताते हैं कि कई सालों पहले 445 लोगों का जत्था, तीर्थ यात्रा का वीज़ा लेकर भारत आया और फिर यहीं रह गए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो बताते हैं कि उस जत्थे में एक महिला थी, जिन्होंने भारत आने से एक दिन पहले ही अपने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन बच्चे के कागज़ात नहीं होने की वजह से उन्हें बच्चे को वहीं अपने रिश्तेदारों के पास छोड़कर आना पड़ा. वो बताते हैं कि ऐसी और भी कई औरतें हैं जिन्हें मजबूरी में अपने बच्चों को वहीं छोड़ना पड़ा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इन बिछड़ी माओं को उम्मीद है कि अब उनके बच्चे भी पाकिस्तान से भारत आकर उनके साथ रह सकेंगे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

यशोदा जब भारत आईं थी, तब उनकी शादी नहीं हुई थी. भारत आकर शादी हुई और अब उनके तीन बच्चे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो बताती हैं कि वो वहां पढ़ नहीं सकीं. लेकिन अब वो अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाना चाहती हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

यशोदा उस घटना के बारे में बताती हैं, जिसके बाद उन्होंने और उनके परिवार ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर लिया था, "मेरी ननद को उठाकर ले गए थे, दो-तीन महीने तक उसका कुछ पता नहीं चला. क्या पता उसका धर्मांतरण करवा दिया हो."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

पाकिस्तान से बेहतर भविष्य की आस में भारत आए इन लोगों को लगता है कि यहां आकर इनकी स्थितियां बेहतर हुई हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुखनंद कहते हैं, "हम सब मिलकर हिंदुस्तान आ गए थे. पीछे बहुत कुछ छोड़ आए थे. लेकिन यहां इज़्ज़त की ज़िंदगी जी रहे हैं. रात को चैन से सो पाते हैं. कई बार दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल होता है, लेकिन दो-ढाई सौ कमाकर अपना गुज़ारा कर लेते हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

यहां रहने वाले ज़्यादातर मर्द रेहड़ी-पटरी लगाकर, खेतों में काम करके, छोटी-मोटी दुकानें चलाकर परिवार की रोज़ी-रोटी का इंतज़ाम करते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी की टीम जब दिल्ली में मजनू का टिला स्थित इस शरणार्थी बस्ती में पहुंची तो देखा कि ये हिंदू शरणार्थी कच्चे घरों में रहते हैं. बस्ती के उबड़-खाबड़ कच्चे रस्तों में कीचड़ फैला है, शौच के लिए बस्ती की शुरूआत में ही एक कम्युनिटी शौचालय बना हुआ है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बल देवी बताती हैं, "बिजली नहीं है, पानी नहीं है, रहने का ठीक से इंतज़ाम नहीं है, पांच-छह बार हमारी झुग्गियां जल गईं, यमुना का पानी बढ़ता है तो हमारे घरों में पानी घुस जाता है, सांप घुस आते हैं, हमारे बच्चे सड़कों पर रहने को मजबूर हो जाते हैं. लेकिन फिर भी हम मोदी जी से शिकायत नहीं करते, अब हमें नागरिकता मिल गई, जैसे हमें सब कुछ मिल गया."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इन हिंदू शरणार्थियों का मानना है कि नागरिकता मिलने के बाद इनकी ये सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

सोना दास ख़ुशी में कहते हैं, "गृह मंत्री अमित शाह हमारे लिए संसद में खड़े रहे. मेरी तो दुआ है कि वो और मोदी जी सौ साल जीएं और ऐसे ही देश का नेतृत्व करते रहें."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन विधेयक का ज़ोरदार विरोध हुआ. कई जगह तो हिंसक प्रदर्शन भी हुए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

विरोध करने वालों में दो तरह के लोग थे. एक वो जो ये कह रहे थे कि ये मुस्लिमों के साथ भेदभाव है, क्योंकि इसमें उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान नहीं किया गया है, और विरोध करने वाले दूसरे लोग वो थे, जो कह रहे थे कि घुसपैठिया कोई भी हो उसे नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसपर सोना दास कहते हैं, "भारत हिंदुओं का देश है. किसी भी देश में हिंदुओं पर आंच आएगी, उन्हें तकलीफ होगी तो वो कहां जाएगा? भारत ही हिंदुओं का देश है, जहां आकर हिंदू शरण ले सकते हैं. और जहां तक बात मुस्लिमों की है तो उनके तो बहुत देश हैं. वो कहीं भी जा सकते हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जैसे ही सोना दास से हमुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रहमारी बातचीत खत्म हुई, वहां उनकी भतीजी आ गई. वो अभी-अभी स्कूल से पढ़कर लौंटी थीं.

10वीं में पढ़ने वाली राम प्यारी की सोच अपने चाचा से बिल्कुल अलग है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो कहती हैं, "किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. मुस्लिम भी वैसे ही हैं, जैसे हिंदू हैं. जो लोग किसी परेशानी या उत्पीड़न की वजह से भारत शरण लेने आए हैं, उन्हें भी उसी आधार पर नागरिकता मिलनी चाहिए, जिस आधार पर हमें मिल रही है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Wednesday, December 4, 2019

俄中天然气管道开通 两国能源战略合作新高度

周一(12月2日),世界最大的天然气出口国和世界最大的燃料消费国加强能源合作,通往中国北方的俄罗斯的西伯利亚天然气管道正式开通。这不仅是两国间前所未有的基建工程,也是重要的政治成就。

彭博社报道说,俄罗斯天然气通过中俄东线天然气管道开通是普京把重心靠向中国的标志。《华尔街日报》说,这个价值550亿美元的天然气管道项目是俄中伙伴关系的证明,对美国的经济和战略影响构成挑战。

长达3000公里的天然气管道将把西伯利亚东部丰富天然气产地同中国连接,满足中国巨大而且加速增加的能源需求,同时加强了美国的两大战略对手俄罗斯和中国之间的物理联系。

俄罗斯同西方关系恶化后,开始加强同亚洲经济发展迅速的亚洲国家积极发展关系。

作为亚洲最大的经济体,中国的天然气需求近年来迅猛增长,因为中国政府要求工厂和民居用天然气取代煤炭以减少空气污染。2018年中国天然气进口占天然气供应的43%,其中2/5的天然气进口来自通过中亚和缅甸的输气管道,其余来自液化天然气进口。

俄罗斯天然气工业股份公司的首席执行官米勒(Alexey Miller)在靠近中国边境的压缩站通过视频连接,对俄罗斯总统普京说,“阀门已经开放,天然气正被输送到输气系统中”。

普京在视频对话中对中国领导人习近平说,“此举将俄罗斯和中国在能源方面的战略合作推向新高度”。习近平说这是“这是双方能源合作的里程碑工程”。

这是俄罗斯最大的天然气公司俄罗斯天然气工业股份公司同中国石油天然气集团公司经过长达十多年谈判后达成的协议,是俄罗斯天然气工业股份公司有史以来签订的最大合同,也是苏联解体后最重要的能源工程项目。

俄罗斯天然气工业股份公司同中国石油天然气集团公司在2014年签署了价值4000亿美元的合同,俄方在30年间每年向中国输送380亿立方米的天然气。

俄罗斯天然气工业股份公司计划每年输送1000万立方米的天然气,计划在2025年让输气量达到最高水平。该公司说,在2020年向中国的管道输气量最低水平将维持在50亿立方米,2021年为100亿立方米,2022年为150亿立方米。

虽然俄罗斯天然气工业股份公司对俄中输送天然气的价格保密,但是普京说,价格同石油价格相关,这同俄罗斯向欧洲消费者供气价格的算法一样。

与此同时,俄罗斯还要同卡塔尔和澳大利亚等国海上输送液化天然气的价格相竞争,因为中国增长的能源要求需要中国既进口管道天然气,也尽快液化天然气。

俄罗斯最大的液化天然气生产商Novatek PJSC也将因此受益,该公司在西伯利亚北部喀拉海亚马尔半岛开发液化天然气。

俄罗斯开通了向东输送天然气的重要通道会进一步促进俄中的经济和政治合作,同时也加强了俄罗斯在同欧洲天然气谈判的筹码。彭博社分析认为,因为俄罗斯有了向东输送天然气的渠道,欧洲可能就需要付出高价才能保证来自俄罗斯的供应。

Monday, November 25, 2019

中美间谍战:“港产”美国前特工李振成被判19年监禁

为中国搜集情报的前美国中情局(CIA)特工李振成(Jerry Chun Shing Lee)22日被判19年监禁,成为一年之内第三位因向中国提供谍报而被定罪的美国前特工。李振成被控与外国政府合谋、向其提供涉及国防的资料,他早前已承认控罪。

现年55岁、香港出生的李振成早年从香港移民美国,曾在美国陆军服役,1994年至2007年效力CIA,曾经被派驻中国,接触到美国对华情报第一手机密材料,包括CIA任务的具体时间地点,以及卧底特工和机密线人的名单。法庭文件显示,他在2010年接触到中国情报人员,开始向其提供情报以换取金钱回报,一共获利84万美元。

李振成在2018年1月在纽约被捕,联邦调查局(FBI)探员在他的酒店房间中找到记录CIA特工和线人名字与电话号码的笔记本与USB。

多名美国情报界人士认为,李振成向中方透露了美国在华线人名单,协助中国在2010年至2012年捣毁美国在华间谍网,导致20名CIA线人被杀或监禁。这是美国情报界近年遭遇的最大重创,招致短期内难以弥补的巨大损失。

然而,李振成向中国提供了何种情报,目前仍是一个未解之谜。他并未被控泄露国家机密,美国检方也未有直接证据证明他向中方提供了线人名单。李振成的律师表示,这些指控只是基于推测,检方未能证明李振成的84万美元收入来自于中国情报人员。

审理此案的法官(T.S. Ellis)则认为,至少有部分李振成的不明收入"很有可能"来自中方,因此他一定为对方提供了有价值的信息。

李振成当日在美国维吉尼亚州一所法院被判19年监禁,仅仅在数月前,在同一法庭、同一位法官的审理下,另一名前CIA雇员凯文‧马洛里因向中国出售情报而被判20年监禁。

虽然李振成与中方合作深入的程度目前难以估量,毫无疑问的是,近年来中美间谍战的强度有增无减,短短一年内,已有三名前美国特工因向中国政府提供情报而被定罪。两国谍战交锋的领域也从传统的国防情报界,扩大至商业机密收集。

2011年: 美国在中国的线人陆续失踪,不清楚是中情局网络被入侵还是有内线协助中方确认了这些情报人员

2014年5月:5名中国军官被指控窃取美国公司内部文件及商业机密,同月,中国称自己成为美国间谍的头号目标

2015年:中情局撤走驻华使馆的职员,担心中方从政府电脑窃取了资料,可能暴露了情报人员

2017年5月:《纽约时报》引述4名前中情局官员称, 2010至2012年间有多达20名中情局特工在中国被杀或被判刑

2017年6月:前中情局职员凯文‧马洛里被捕,被控向中国情报人员提供最高机密文件

Monday, October 21, 2019

كيف كشف نهر النيل بعض أسرار المصريين القدماء؟

"فليحيا الإله الكامل، الذي في الأمواه، إنه غذاء مصر وطعامها ومؤونتها، إنه يسمح لكل امريء أن يحيا، الوفرة على طريقه، والغذاء على أصابعه، وعندما يعود يفرح البشر، كل البشر"، ترنيمة دوّنها المصري القديم في نصوصه الأدبية تبرز قدر عرفانه لنهر النيل، جاعلا منه الإله الخالق لمصر، واهب الحياة والخُلد لها منذ القدم.

أدرك المصريون أهمية النيل منذ عصور موغلة في القدم، فاجتهدوا في ابتكار طرق تهدف إلى الاستفادة من مياه النهر وتنظيم الري وحفر الترع لزراعة أكبر مساحة ممكنة من أرض الوادي، ولم يبالغ العالم الفرنسي جاك فاندييه في دراسته "المجاعة في مصر القديمة" عندما أشار إلى أن "النيل هو الأساس الذي اعتمدت عليه الحياة المادية والاجتماعية في مصر".

البداية
توافرت مقومات الحياة البشرية في منطقة شمال أفريقيا خلال العصر الحجري القديم، نظرا لنمو الأعشاب والأشجار واستيطان قطعان الغزلان والأبقار والأغنام، فاعتمد الإنسان على صيدها باستخدام آلات بدائية عُثر على كثير منها في صحراء مصر الشرقية والغربية.

بيد أن التغيرات المناخية دفعت السكان نحو الأنهار، نتيجة الجفاف وندرة الأمطار، فظهر نمط جديد من المجتمعات في مصر، وهو شكل من أشكال الحياة البدائية التي ربما تعود جذورها وأقدم مفاهيمها وآلهتها إلى مستهل العصر الحجري الحديث منذ حوالي عام 5800 قبل الميلاد، لاسيما في مناطق الفيوم ومرمدة والعُمَري في مصر الوسطى والشمالية، والهمامية والبداري وتاسا في الوجه القبلي جنوبا.

أطلق المصريون القدماء على نهر النيل في اللغة المصرية القديمة "إيترو عا" بمعنى (النهر العظيم)، وتشير الأصول اللغوية لكلمة النيل إلى أنها من أصل يوناني، "نيلوس"، بيد أن آخرين تحدثوا عن أصول فينيقية للكلمة اشتقت من الكلمة السامية "نهل" بمعنى (مجرى أو نهر).

وذهب المؤرخ اليوناني ديودور الصقلي إلى أبعد من ذلك حين أشار إلى إن النيل أُطلق عليه هذا الاسم تخليدا لذكرى ملك يدعى "نيلوس" اعتلى عرش البلاد وحفر الترع والقنوات فأطلق المصريون اسمه على نهرهم، وتُستخدم "نيلوس" كاسم علم مذكر بحسب عقد بيع مدوّن على بردية يعود إلى العصر الروماني، يحتفظ به المتحف المصري، بين رجل يدعى "نيلوس" وآخر يدعى "إسيدوروس".

ويرى العالم المصري رمضان عبده، في دراسته الموسوعية "حضارة مصر القديمة"، ضمن إصدارات وزارة الآثار المصرية، أن كلمة النيل مشتقة من أصل مصري صميم من العبارة "نا إيترو" والتي تعني (النهر ذو الفروع)، كما أطلق المصريون على مجرى النهر اسم "حبت إنت إيترو" (مجرى النهر)، وأطلقوا على فروع النيل في أرض مصر "إيترو نوكيمت" (فروع الأرض السوداء).

تشير الوثائق التاريخية إلى حدوث اتصال ما بين المصريين القدماء ومناطق تقع في جنوب مصر، بلاد "كوش" و"يام" و"بونت"، الأمر الذي يرجح بعض دراية للمصريين بإقليم بحر الغزال، أحد روافد النيل في جنوب السودان، منذ عصور الدولة القديمة، ونتيجة حرص المصريين على التوغل في النوبة والسودان، ظهر رحّالة ومستكشفون في الأسرة السادسة معظمهم من أمراء أسوان جنوبي مصر.

نظم حاكم الجنوب ويدعى "حرخوف" أربع حملات استكشافية إلى أفريقيا بناء على أوامر من الملكين "مر-إن-رع" و"بيبي الثاني" حوالي 2200 قبل الميلاد، وحرص "حرخوف" على تسجيل وقائع رحلاته في مقبرته في أسوان، كما في هذا المقتطف من نص كامل نقلته إلى الفرنسية عن اللغة المصرية القديمة العالمة كلير لالويت في دراستها "الفراعنة في مملكة مصر زمن الملوك الآلهة":

Tuesday, October 8, 2019

В США задержали и допросили депутата Госдумы Ингу Юмашеву. Что об этом известно

Российский МИД в воскресенье заявил протест США в связи с возможным допросом депутата Госдумы Инги Юмашевой сотрудником американских спецслужб в аэропорту Нью-Йорка. Ноту протеста направило в Госдепартамент и посольство РФ в Вашингтоне. Сама Инга Юмашева пока никак не комментирует ситуацию.

О новом громком скандале в российско-американских отношениях стало известно из заявления посла России в США Анатолия Антонова. Вечером в субботу по времени Вашингтона он сообщил, что 34-летнего депутата Госдумы, теле- и радиоведущую Ингу Юмашеву, прилетевшую в Соединенные Штаты для участия в российско-американском форуме "Диалог Форт-Росс", неожиданно задержали в зоне прилета нью-йоркского аэропорта им. Джона Кеннеди.

"К нам приехала два дня тому назад депутат Госдумы Инга Альбертовна Юмашева, она была задержана в аэропорту Нью-Йорка, ее попросили пройти в отдельное помещение, и сотрудник ФБР, который представился, стал ее допрашивать в течение часа", - цитирует агентство ТАСС слова российского посла.

Анатолий Антонов также добавил, что сотрудник спецслужб предложил Юмашевой "продолжить общение", встретившись в "неформальной обстановке".

Почему посольство взяло двухдневную паузу перед тем, как заявить протест Госдепартаменту по поводу задержания депутата, дипломат разъяснять не стал.

В воскресенье вечером председатель комитета Госдумы по международным делам Леонид Слуцкий заявил, что Юмашева завершит свой визит в США согласно ранее запланированной программе.

"Визит Юмашевой в США продлится согласно насеченному заранее плану", - сказал Слуцкий Интерфаксу, добавив, что "это займёт еще несколько дней".

Сама Инга Юмашева пока отказывается от любых комментариев и сообщила лишь, что приняла такое решение после "общения с коллегами по Думе".

Как удалось узнать Русской службе Би-би-си, депутат прилетела в США по общегражданскому паспорту, в котором стояла виза B1/B2, выдаваемая для краткосрочных туристических или деловых поездок.

Собеседник Би-би-си в российском посольстве в Вашингтоне, согласившийся прокомментировать ситуацию на условиях анонимности, назвал инцидент "возмутительным", но допустил, что в случае с задержанием в аэропорту "есть много вопросов".

"Молодая девушка была действительно напугана и могла, конечно, что-то перепутать, хотя сам факт допроса никто не отрицает", - сказал он.

Дипломат предположил, что речь может идти о рутинной процедуре, когда человека, вызывающего подозрения у иммиграционных властей США, допрашивают в аэропорту прибытия, пытаясь выяснить, не собирается ли он или она нелегально остаться в Соединенных Штатах.

"Все это пока предположения, и нужно дождаться официального ответа от американских властей", - пояснил он.

В воскресенье в Госдепартаменте не ответили на запросы Русской службы Би-би-си. В Национальном пресс-офисе ФБР сообщили, что "не располагают комментариями" по поводу скандальной ситуации.

Инга Юмашева координирует в Госдуме работу группы по связям с Конгрессом США.

Она неоднократно участвовала в форуме "Диалог Форт-Росс", ежегодно проходящем в Калифорнии с 2012 года. Спонсорами мероприятия являются "Транснефть", компания Shevron и ПАО "Совкомфлот".

3 октября этого года официальный представитель МИД РФ Мария Захарова сообщила, что американская сторона не выдала визы группе сотрудников российского внешнеполитического ведомства, собиравшихся посетить форум.

Monday, September 30, 2019

Документы "Штази" хотят передать в федеральный архив. Почему многие исследователи против?

Немецкий парламент проголосовал за перенос секретных архивов министерства государственной безопасности ГДР, также известного как "Штази", в германский Федеральный архив. Исследователи выступают против.

Речь идет о миллионах дел, составленных спецслужбой на граждан ГДР в годы "холодной войны". С момента падения коммунистического режима в ГДР эти архивы были переданы особому ведомству в ФРГ, которое в 2021 году планируют расформировать.

Чиновники говорят, что после слияния архивов документы будет легче оцифровать, но некоторые исследователи критикует решение парламента - они считают, что передача личных дел в федеральный архив приведет к "замалчиванию истории".

"Штази" - сокращение от слова Staatssicherheit ("Госбезопасность"). Так неформально называлась тайная полиция ГДР, осведомителями которой, как выяснилось впоследствии, были сотни тысяч жителей Восточной Германии.

После падения ГДР в 1989 году офицеры "Штази" попытались уничтожить архивы - сначала при помощи шреддеров, а потом просто разрывая их руками.

Но полностью архивы уничтожить не удалось, этому помешали правозащитники. По всей стране началось создание гражданских комитетов, целью которых было не допустить уничтожения архивов. С начала декабря 1989 года тысячи жителей восточногерманских городов штурмовали управления "Штази".

С тех пор ведомство, обслуживающие архивы, получило и удовлетворило десятки тысяч запросов на информацию из архивов. В 2018 году работники архива получили 42 тысячи таких запросов. В частности они интересовались, не было ли среди их близких знакомых и родственников доносчиков, и часто оказывалось, что таковые были.

Глава Федерального ведомства по изучению архивов "Штази", в прошлом - восточногерманский диссидент Роланд Ян говорит, что решение парламента позволит лучше сохранить архивы и оцифровать их. Сейчас оцифровано только два процента документов.

Ян пообещал, что личные дела останутся в открытом доступе для историков, журналистов и бывших граждан ГДР, которых преследовала тайная полиция.

Документы нужно "подготовить к будущему, когда мы сможем воспользоваться технологиями и экспертизой, которые есть в распоряжении федерального архива", - считает он.

Tuesday, September 24, 2019

Месси - лучший футболист мира. Вот уже шестой раз

Нападающий испанской "Барселоны" и сборной Аргентины Лионель Месси стал лучшим футболистом года по версии Международной федерации футбола ФИФА. Месси в шестой раз признается лучшим игроком года, он получал награду в 2009, 2010, 2011, 2012 и 2015 годах.

На награду также претендовал португальский нападающий итальянского "Ювентуса" Криштиану Роналду, который в прошлом пять раз признавался лучшим, и голландский защитник английского "Ливерпуля" Вирджил ван Дейк.

Церемония награждения The Best FIFA Football Awards 2019 прошла в миланском театре "Ла Скала".

32-летний Месси в прошлом сезоне забил 54 гола в 58 играх за испанский клуб и сборную Аргентины. В чемпионате Испании Месси забил за команду 36 голов в 34 играх, выиграв "Золотую бутсу", которая вручается лучшему бомбардиру всех национальных чемпионатов Европы. "Барселона" в прошлом году стала чемпионом Испании и дошла до полуфинала Лиги чемпионов, где уступила "Ливерпулю".

В составе аргентинской сборной Месси везло меньше, в минувшем сезоне Аргентина проиграла в полуфинале Кубка Америки Бразилии и стала бронзовым призером, победив Чили.

ФИФА с 1991 года вручает награды лучшим футболистам. С 2010 по 2015 годы лучшим игрокам вручали награду "Золотой мяч ФИФА" - объединенную награду Международной федерации футбола и журнала France Football. В 2016 году сотрудничество прекратилось, и ФИФА и France Football вернулись к собственным призам.

С 2008 года лучшими игроками (обладателями "Золотого мяча") становились либо Лионель Месси, либо Криштиану Роналду.

В прошлом году впервые за 10 лет господства Месси и Роналду "Золотой мяч" достался полузащитнику мадридского "Реала" и хорватской сборной Луке Модричу.

Лучшей футболисткой года признана полузащитник сборной США Меган Рапино.

"У меня нет слов. Этот год стал невероятным для женского футбола", - сказала на церемонии награждения 34-летняя Рапино.

Лучшими тренерами признаны тренер "Ливерпуля" Юрген Клопп и тренер американской сборной по женскому футболу Джилл Эллис.

"Ливерпуль" стал победителем Лиги чемпионов в минувшем сезоне, а женская сборная США стала чемпионом мира.